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ब्रज श्रीवास्तव
ब्रज श्रीवास्तव की काव्यालय पर रचनाएँ
पिता: वह क्यों नहीं रुके

विदिशा निवासी ब्रज श्रीवास्तव अङ्ग्रेज़ी, हिन्दी और गणित में स्नातकोत्तर डिग्री प्राप्त कर चुके हैं और स्कूल शिक्षा विभाग में प्राचार्य के तौर पर कार्यरत हैं। इन्होंने दैनिक 'विद्रोही धारा' के साहित्यिक पृष्ठ का तीन वर्षों तक संपादन किया है और 'नवदुनिया' और 'कला समय' में स्तंभ लेखन भी। इन्हें अखिल भारतीय दिव्य पुरस्कार सहित एक दो स्थानीय स्तर के सम्मान मिल चुके हैं।

इनके 6 कविता संग्रह प्रकाशित हैं - 'तमाम गुमी हुई चीज़ें', 'घर के भीतर घर', 'ऐसे दिन का इंतज़ार', 'फिर आशाघोष', 'समय ही ऐसा है' और 'हम गवाह हैं' । इसके अलावा इन्होंने आठ संकलनों का संपादन भी किया है। साहित्य की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में इनकी कविताएँ, समीक्षाएँ और अनुवाद प्रकाशित होते रहते हैं।


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