अप्रतिम कविताएँ
कुछ कतरे कैद हैं तालाबों में
मेरे कस्बे में समन्दर नहीं है,
कुछ कतरे पानियों के कैद हैं,
तालाबों में।
जब भी घर जाता हूँ,
तो एक शाम गुज़ार देता हूँ,
मंदिर वाले तालाब की सीढियों पर।
तालाब का पानी बदलता नहीं कभी।
कैद है, शायद इसीलिए पहचानता है मुझे।
जब भी मिलूँ तो कहता है-
'अच्छा हुआ, तू आ गया।
बहुत सी बातें बतानी है तुझे।'
और फिर शुरू हो जाता है,
वो फलां दादी फौत हो गयी,
अलां के घर बेटा हुआ है,
चिलां बाबू की नौकरी छूट गयी।
मगरिब की तरफ का पीपल काट दिया, सड़क बनाने वालों ने,
वगैरह वगैरह।
फिर मुझसे मुखातिब होकर,
पूछता है-
'अच्छा ये तो बता, शहर के मिजाज़ कैसे हैं।
कौन बताता है तुझे, ख़बरें शहर की।'
मैं जवाब देता हूँ-
'समंदर है ना, ढेर सारा पानी..'
और इतना कहते ही,
एक बगूला पानी का
गले में अटक जाता है।
खुदाहाफिज़ कह चला आता हूँ,
वापस शहर में,
जहाँ एक बड़ा सा समंदर है।
रोज़ समंदर के किनारे बैठा,
देखता हूँ,
कैसे सैकड़ों गैलन पानी,
बदल जाते हैं, गुज़र जाते हैं।
एकाध कतरा पानी का,
मेरी तरफ भी उछाल देता है समंदर,
बस यूँ ही, बिना किसी जान-पहचान के।
अब रोज़ बदलते पानियों वाला समंदर,
कैसे पहचान पायेगा मुझे।
कैसे उम्मीद करूँ उससे
कि वो कहे-
'अच्छा हुआ तू आ गया,
बहुत सी बातें बतानी हैं तुझे'।
- अरविन्द कुमार
Arvind Kumar
Email: [email protected]
Arvind Kumar
Email: [email protected]

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छंद में लिखना - आसान तरकीब
भाग 1 लय का महत्व

वाणी मुरारका
इस महीने :
'कामायनी ('निर्वेद' सर्ग के कुछ छंद)'
जयशंकर प्रसाद


तुमुल कोलाहल कलह में
मैं हृदय की बात रे मन!

विकल होकर नित्य चंचल,
खोजती जब नींद के पल,
चेतना थक-सी रही तब,
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चिर-विषाद-विलीन मन की,
इस व्यथा के तिमिर-वन की;
..

पूरी प्रस्तुति यहाँ पढें और सुनें...
'बेकली महसूस हो तो'
विनोद तिवारी

बेकली महसूस हो तो गुनगुना कर देखिये।
दर्द जब हद से बढ़े तब मुस्कुरा कर देखिये।

रूठते हैं लोग बस मनुहार पाने के लिए
लौट आएगा, उसे फिर से बुला कर देखिये।

आपकी ही याद में शायद वह हो खोया हुआ
पास ही होगा कहीं, आवाज़ देकर देखिये।

हारती है बस मोहब्बत ही ख़ुदी के खेल में
हार कर अपनी ख़ुदी, उसको...

पूरी ग़ज़ल यहां पढ़ें
इस महीने :
'पुकार'
अनिता निहलानी


कोई कथा अनकही न रहे
व्यथा कोई अनसुनी न रहे,
जिसने कहना-सुनना चाहा
वाणी उसकी मुखर हो रहे!

एक प्रश्न जो सोया भीतर
एक जश्न भी खोया भीतर,
जिसने उसे जगाना चाहा
..

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