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एक शब्द की कविता
एक शब्द की कविता
तुम।
एक शब्द में पृथ्वी सारी
तुम।
एक शब्द में सृष्टि सारी
तुम।
क्या रिश्ता होगा जब तुम ही हो
यह वाणी तेरी
- तुम
विषय:
भक्ति और प्रार्थना (31)
काव्यालय को प्राप्त: 10 Jun 2017. काव्यालय पर प्रकाशित: 27 Sep 2019
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'365 सिक्के'
पारुल 'पंखुरी'
तीन सौ पैंसठ
सिक्के थे गुल्लक में
कुछ से मुस्कुराहटें खरीदीं
कुछ से दर्द,
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चेतन कश्यप
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झाँकता
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..
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आशीष क़ुरैशी ‘माहिद’
जब आप कुछ नहीं कर सकते
तो कर सकते हैं वो
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दरिया का तिनका
दूर पहाड़ पर जलता दिया
..
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