अप्रतिम कविताएँ
अपराजिता
शांति छिन्न भिन्न हो,
हृदय भले खिन्न हो,
जीवन के अँधेरे-उजास में,
असफल प्रयास में,
आस पराजित नहीं है,
और अपराजिता हूँ मैं |

संबंधों के विच्छेद से,
आस्था के भेद से,
श्वास के विराम से,
अवांछित आयाम से,
स्नेह पराजित नहीं है,
और अपराजिता हूँ मैं |

प्रेम नहीं, द्वेष हो,
विश्व भर में क्लेश हो,
सौभाग्य न हो, अभाग हो,
ध्वनित करुण राग हो,
साहस पराजित नहीं है,
और अपराजिता हूँ मैं |

अग्नि, जल वायु से,
नित बढ़ती आयु से,
पञ्च तत्व भूत से,
आत्मा के सूत्र से,
परिभाषित है मेरा तन,
किन्तु अपरिभाषित रही हूँ मैं -
हाँ, पराजित नहीं हूँ मैं |
- शैली चतुर्वेदी
Shaily Chaturvedi
Email: [email protected]
Shaily Chaturvedi
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विषय:
स्त्री (18)

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..

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रौशनी से नहाए इस शहर में
खुशियों की लड़ियाँ जगमगाती हैं
चीर कर गमों के अँधेरे को
जिंदगी आज फिर से मुस्कराती है।

धमाका फिर गूंजता है
पर बमों और बंदूकों का नहीं
पटाखों के साथ-साथ
गूंजती है किलकारियाँ भी।
सहमे से मुरझाए होठों पर
..

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