हिंदी के सुप्रतिष्ठित वरिष्ठ कवि, बाल साहित्यकार, अनुवादक तथा चिंतक।
दिविक रमेश का वास्तविक नाम है, रमेश चंद शर्मा। उनका जन्म दिल्ली के पास एक गाँव, किराड़ी, में हुआ।
उनकी प्रमुख कृतियाँ हैं:
कविता संग्रह: जब घुटती है साँस आदमी की, पचास कविताएँ, वहां पानी नहीं है,माँ गाँव में है, गेहूं घर आया है, खुली आँखों में आकाश, रास्ते के बीच, छोटा-सा हस्तक्षेप,हल्दी-चावल और अन्य कविताएँ, बाँचो लिखी इबारत, वह भी आदमी तो होता है , फूल तब भी खिला होता
काव्य-नाटक: खण्ड-खण्ड अग्नि
संस्मरण: यादें महकी जब
साक्षात्कार: सवालों से टकराते हुए
आलोचना-शोध: नये कवियों के काव्य-शिल्प सिद्धांत, संवाद भी विवाद भी, कविता के बीच से, साक्षात त्रिलोचन, समझा-परखा
बाल-साहित्य: मेरे मन की बाल कहांनियाँ, बचपन की शरारत(संपूर्ण गद्य रचनाएं), 101 बाल कविताएँ, मैं हूं दोस्त तुम्हारी कविता और बल्लू हाथी का बालघर सहित लगभग 45 पुस्तकें
अनुवाद : कोरियाई कविता-यात्रा, सुनो अफ्रीका, खलनायक (कोरियाई उपन्यास), कोरियाई बाल-कविताएं, कोरियाई लोक कथाएं, जादुई बाँसुरी और अन्य कोरियाई कथाएं आदि।
संपादन : निषेध के बाद, हिन्दी कहानी का समकालीन परिवेश, बालकृष्ण भट्ट, प्रतापनारायण मिश्र, आंसांबल, दिशाबोध, दूसरा दिविक।
प्रमुख पुरस्कार: साहित्य अकादेमी (नई दिल्ली) पुरस्कार, 2018, गिरिजाकुमार माथुर स्मृति पुरस्कार, सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार, 1984 (रास्ते के बीच और खुली आंखों में आकाश पर), दिल्ली हिन्दी अकादमी का साहित्यकार सम्मान 2003-2004। एन.सी.ई.आर.टी. का राष्ट्रीय बाल-साहित्य पुरस्कार, कोरियाई दूतावास से प्रशंसा-पत्र 2001,अनुवाद के लिए भारतीय अनुवाद परिषद,दिल्ली का द्विवागीश पुरस्कार (2009), भारतीय स्तर का श्रीमती रतन शर्मा बाल-साहित्य पुरस्कार, 2009(101 बाल कविताओं पर)। उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान का सर्वोच्च बाल साहित्य सम्मान ‘बाल साहित्य भारती सम्मान’,2013.
2011 में दिल्ली विश्वविद्यालय के मोतीलाल नेहरू महाविद्यालय के प्राचार्य-पद से सेवानिवृत्त।
पूर्व अतिथि आचार्य, हांगुक यूनिवर्सिटी ऑफ फोरन स्टेडीज़, सोल, दक्षिण कोरिया।