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वीरेंद्र जैन 'उन्मुक्त'
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स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया से 2013 में सेवा निवृत्त, गुरुग्राम हरियाणा में रहते हैं। कॉलेज के दिनों से लिखने में रुचि, अब रिटायर्मेंट के बाद ज्यादा लिख पा रहे हैं। 200 से ज्यादा कविताएँ लिखी हैं -- अधिकांश हिन्दी में, कुछ अंग्रेजी में भी।
एक कविता संकलन "
लहरें और कश्तियाँ
" एमज़ॉन पर उपलब्ध।
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