समर्पित सत्य समर्पित स्वप्न
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भाग 1 | 18
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स्वाति - एक नक्षत्र जिसके दौरान चातक चिड़िया की प्यास बुझती है; यामिनी - रात; अवगुंठन - घूंघट; सुकुमार - कोमल
5. प्यार का उपहार ले लो
प्यार का उपहार ले लो आज तुम संसार ले लो।
मंज़िलों के पार चल दो, राह का आधार ले लो।

मेघ मालायें गगन में झूमतीं उन्मत्त हो कर।
पर्वतों को चूमतीं हैं, बिजलियाँ उन्मुक्त हो कर।
तृप्त कर लो कामनायें, स्वाति की रस धार ले लो।
प्यार का उपहार ले लो, आज तुम संसार ले लो।

दाँत में उंगली दबा कर, तुम लजा कर मुस्कुरा दो।
यामिनी है मधु मिलन की, आज अवगुंठन हटा दो।
मांग में तारे सजा लो, सोलहो सिंगार ले लो।
प्यार का उपहार ले लो, आज तुम संसार ले लो।

आज आखिर सत्य होगा, वह मधुर सुकुमार सपना।
मुक्त कर लो आज सारे बंधनों से प्यार अपना।
तोड़ दो सीमा क्षितिज की, गगन का विस्तार ले लो।
प्यार का उपहार ले लो, आज तुम संसार ले लो।

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