समर्पित सत्य समर्पित स्वप्न
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भाग 1 | 42
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प्रणय – प्रेम; यामिनी – रात
19. मधुर स्वप्न अपने
मधुर प्रीति के ये मधुर स्वप्न अपने
अधूरे रहेंगे तड़पते रहेंगे।
न सच हो सकेंगे, न मिट ही सकेंगे
इन्हीं वादियों में भटकते रहेंगे।

हमे प्यार में वेदना ही मिली है
विरह ही हमारे प्रणय की कहानी
व्यथित भावनायें, विकल कामनायें
विवश कल्पना की कसकती कहानी।

इसी टूटती प्रेरणा के सहारे
बहुत दूर तक साथ चलते रहेंगे।
मधुर स्वप्न अपने भटकते रहेंगे।

किसी एक विश्वास की ज्योति मन में
लिये झिलमिलाती रहीं तारिकायें।
किसी के लिये आग लेकर हृदय में
सुलगती रहीं रात भर दीपिकायें।

इसी चाह में प्यार के फूल अपनें
बिखरते रहेंगे, महकते रहेंगे।
मधुर स्वप्न अपने भटकते रहेंगे।

अथक साँस चलती रही ज़िन्दगी भर
मिलन की मधुर यामिनी मिल न पाई।
किसी की तरफ आँख उठ तो गई
किन्तु भीगी, लजीली पलक खुल न पाई।

कही अनकही खो गई आंसुओं में
न बह पायेंगे जो न रुक ही सकेंगे।
मधुर स्वप्न अपने भटकते रहेंगे।

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