मुक्तक
दर्द जब आँसुओं में ढल जाए
मेरी आँखों में आके बह जाना।
भूल कर कशमकश ज़माने की
मेरी बाहों में आके रह जाना।
दर्द जब आँसुओं में ढल जाए
मेरी आँखों में आके बह जाना।
भूल कर कशमकश ज़माने की
मेरी बाहों में आके रह जाना।
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तुम्हारी आँखों का वह प्रश्न
तुम्हारी पीड़ा का आभास,
मौन है धरा, मौन है क्षितिज
निरुत्तर है सारा आकाश।
तुम्हारी पीड़ा का आभास,
मौन है धरा, मौन है क्षितिज
निरुत्तर है सारा आकाश।
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