समर्पित सत्य समर्पित स्वप्न
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भाग 1 | 41
मुक्तक

दर्द जब आँसुओं में ढल जाए
मेरी आँखों में आके बह जाना।
भूल कर कशमकश ज़माने की
मेरी बाहों में आके रह जाना।

*

तुम्हारी आँखों का वह प्रश्न
तुम्हारी पीड़ा का आभास,
मौन है धरा, मौन है क्षितिज
निरुत्तर है सारा आकाश।

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