मुक्तक
चंद ख़्वाबों में गुज़र जाती है, बस रात की रात।
एक मीठी सी कहानी है, उसी रात की बात।
चाँदनी जब मेरे आँगन में उतर आती है
गुदगुदाती है ख्यालों को बिना बात की बात।
चंद ख़्वाबों में गुज़र जाती है, बस रात की रात।
एक मीठी सी कहानी है, उसी रात की बात।
चाँदनी जब मेरे आँगन में उतर आती है
गुदगुदाती है ख्यालों को बिना बात की बात।
*
मिलते तो हैं वो अक्सर, कुछ बात नहीं होती
बादल तो उमड़ते हैं, बरसात नहीं होती।
बादल तो उमड़ते हैं, बरसात नहीं होती।
*
तेरी आवाज़ जब नहीं आती
उस सवेरे, सुबह नहीं आती।
उस सवेरे, सुबह नहीं आती।
*