परिचय : डॉ. विनोद तिवारी
डॉ. विनोद तिवारी हरदोई, उत्तर प्रदेश के मूल निवासी हैं और आज कल कोलोराडो, अमरीका में रहते हैं। एक राष्ट्रीय वैज्ञानिक संस्थान में वैज्ञानिक के रूप में कार्यरत हैं। उन्होंने भौतिक विज्ञान में लखनऊ विश्वविद्यालय से बी. एससी. और एम. एससी., और दिल्ली विश्वविद्यालय से पी एच. डी. किया है। अमरीका आने के पहले वह बिड़ला इंस्टिट्यूट पिलानी में प्राध्यापक और डीन ऑफ रिसर्च थे। भौतिक विज्ञान में शोध कार्य के लिये उन्हें एरिक राइस्नर पदक, अमरीका सरकार का कांस्य पदक, प्राइड आफ इंडिया पुरस्कार, और लाइफ-टाइम-एचीवमेंट पुरस्कार मिल चुके हैं।
हिन्दी में, कई दशक पहले, सरिता (दिल्ली प्रेस की पत्रिका) द्वारा आयोजित साहसिक कहानी प्रतियोगिता में उन्हें प्रथम पुरस्कार मिला था। उनकी कवितायें सरिता, कादम्बिनी, और अन्य पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। अनुभूति के प्रतिष्ठित संकलन "हिन्दी की 100 सर्वश्रेष्ठ प्रेम कवितायें" (anubhuti-hindi.org/sankalan/prem_kavitayen) में भी उनकी कविता प्रकाशित हुई है।
हिन्दी काव्य के लेखन और पठन में उन्हें विशेष रूचि है। सन 2001 से वह वाणी मुरारका के सहयोग में काव्यालय (kaavyaalaya.org) का सम्पादन कर रहे हैं। संक्षेप में उनके व्यक्तित्व की परिभाषा है, "भौतिक विज्ञान पर अडिग आस्था, हिन्दी से अटूट अपनत्व, और काव्य में असीम रुचि" । उनके अपने शब्दों में "भौतिक विज्ञान उनकी शक्ति है और कविता उनकी दुर्बलता।"
हिन्दी में, कई दशक पहले, सरिता (दिल्ली प्रेस की पत्रिका) द्वारा आयोजित साहसिक कहानी प्रतियोगिता में उन्हें प्रथम पुरस्कार मिला था। उनकी कवितायें सरिता, कादम्बिनी, और अन्य पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। अनुभूति के प्रतिष्ठित संकलन "हिन्दी की 100 सर्वश्रेष्ठ प्रेम कवितायें" (anubhuti-hindi.org/sankalan/prem_kavitayen) में भी उनकी कविता प्रकाशित हुई है।
हिन्दी काव्य के लेखन और पठन में उन्हें विशेष रूचि है। सन 2001 से वह वाणी मुरारका के सहयोग में काव्यालय (kaavyaalaya.org) का सम्पादन कर रहे हैं। संक्षेप में उनके व्यक्तित्व की परिभाषा है, "भौतिक विज्ञान पर अडिग आस्था, हिन्दी से अटूट अपनत्व, और काव्य में असीम रुचि" । उनके अपने शब्दों में "भौतिक विज्ञान उनकी शक्ति है और कविता उनकी दुर्बलता।"