समर्पित सत्य समर्पित स्वप्न
भाग 1
| 11
चमन – बग़ीचा; तारीकियों – अँधेरों; फ़लक – आकाश; आफ़ताब – सूरज;
मुक्तक
चलो चमन में बहारों के ख़्वाब देखेंगे।
किसी कली को कहीं बेनक़ाब देखेंगे।
चलो ज़मीन की तारीक़ियों से दूर चलें
फ़लक के पार चलें आफ़ताब देखेंगे।
चलो चमन में बहारों के ख़्वाब देखेंगे।
किसी कली को कहीं बेनक़ाब देखेंगे।
चलो ज़मीन की तारीक़ियों से दूर चलें
फ़लक के पार चलें आफ़ताब देखेंगे।
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