उर्मिला प्रसाद को साहित्य और संगीत दोनों से प्रेम है। इसी कारण वे साहित्यिक गीतों को विशिष्ट माधुर्य और लय के साथ प्रस्तुत करती हैं जिसमें गीत का और उसके शब्दविन्यास का सौंदर्य और भी निखर कर सामने आता है।
बर्दवान, पश्चिम बंगाल की निवासी और पेशे से शिक्षिका उर्मिला जी लेखन में भी रुचि रखती हैं। ये कोलकाता की सुप्रसिद्ध संस्था "साहित्यिकी" से जुड़ी हुई हैं और उसके पटल पर सतत सक्रिय रहती हैं।