13 अप्रैल 1982 को मध्यप्रदेश के झाबुआ में जन्म। शिक्षा-दीक्षा उज्जैन से। अंग्रेज़ी साहित्य में स्नातकोत्तर। भोपाल में निवास।
कविता की चार पुस्तकें ‘मैं बनूंगा गुलमोहर’, ‘मलयगिरि का प्रेत’, ‘दु:ख की दैनन्दिनी’ और ‘धूप का पंख’ प्रकाशित।
गद्य की तेरह पुस्तकें प्रकाशित, जिनमें लोकप्रिय फ़िल्म-गीतों पर ‘माया का मालकौंस’, क़िस्सों की किताब ‘माउथ ऑर्गन’, रम्य-रचनाओं का संकलन ‘सुनो बकुल’, महात्मा गाँधी पर केंद्रित ‘गाँधी की सुंदरता’, जनपदीय-जीवन की कहानियों का संकलन ‘बायस्कोप’, अंत:प्रक्रियाओं की पुस्तक ‘कल्पतरु’, विश्व-साहित्य पर ‘दूसरी क़लम’, भोजनरति पर ‘अपनी रामरसोई’, स्त्री-पुरुष सम्बंधों पर ‘पवित्र पाप’, भ्रमणरति पर ‘बावरा बटोही’, विश्व-सिनेमा पर ‘देखने की तृष्णा’और लोकप्रिय विज्ञान पर ‘आइंस्टाइन के कान’ सम्मिलित हैं। नवीनतम पुस्तक फुटबॉल पर।
स्पैनिश कवि फ़ेदरीको गार्सीया लोर्का के पत्रों की एक पुस्तक, चित्रकार सैयद हैदर रज़ा की आत्मकथा और अंग्रेज़ी के लोकप्रिय लेखक चेतन भगत के छह उपन्यासों का अनुवाद भी किया है।
‘सुनो बकुल’ के लिए वर्ष 2020 का स्पन्दन युवा पुरस्कार।