अप्रतिम कविताएँ प्राप्त करें
कुंवर नारायण
कुंवर नारायण की काव्यालय पर रचनाएँ
कमरे में धूप

साहित्य अकादमी (1995) और ज्ञानपीठ (2008) पुरस्कार से सम्मानित कुँवर नारायण 'तीसरा सप्तक' के सात कवियों में से एक हैं। 1959 में इसके प्रकाशित होने से पहले 1956 में उनका पहला कविता संग्रह 'चक्रव्यूह' प्रकाशित हो चुका था।
कई देशों की यात्राओं ने उन्हें हिन्दी और विश्व कविता के बीच सेतुनिर्माण का अवसर दिया और उन्होंने कई भाषाओं की कविताओं का हिन्दी अनुवाद किया। उनकी कविताओं का भी विश्व की कई भाषाओं में अनुवाद हुआ। 2009 में उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।
19 सितंबर 1927 को जन्मे इस कवि का देहावसान 15 नवंबर 2017 को हुआ।

इनकी प्रमुख कृतियाँ हैं -
कविता-संग्रह : चक्रव्यूह (1956), परिवेश: हम तुम (1961), अपने सामने (1979), कोई दूसरा नहीं (1993), इन दिनों (2002), हाशिए का गवाह (2009)
खंड-काव्य : आत्मजयी (1965), वाजश्रवा के बहाने (2008), कुमारजीव (2015)
कहानी-संकलन : आकारों के आसपास (1971)
समीक्षा और विचार : आज और आज से पहले (1998), मेरे साक्षात्कार (1999, संपादक: विनोद भारद्वाज), साहित्य के कुछ अंतर-विषयक संदर्भ (2003)


a  MANASKRITI  website