समर्पित सत्य समर्पित स्वप्न
भाग 3
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रमते देवता मिलें : मनुस्मृति के इस श्लोक से प्रेरित
यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता:।
यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफला: क्रिया:।
अर्थात जहाँ नारी की पूजा होती है, वहाँ देवता रमण करते हैं (निवास करते हैं)। और जहाँ इनकी पूजा नहीं होती (अनादर होता है), वहाँ सब कार्य निष्फल होते हैं ।
यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता:।
यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफला: क्रिया:।
अर्थात जहाँ नारी की पूजा होती है, वहाँ देवता रमण करते हैं (निवास करते हैं)। और जहाँ इनकी पूजा नहीं होती (अनादर होता है), वहाँ सब कार्य निष्फल होते हैं ।
31. बापू का सपना
आओ चलें साथ चलें, हम तुम सब साथ चलें।
बापू के भारत में, क़दमों से क़दम मिलें।
हम तुम सब साथ चलें।
भूख हो न रोग जहां, ऐसा संसार गढ़े।
रोष हो न द्वेष जहां, आपस में प्यार बढ़े।
ज्योतिर्मय वसुधा हो, दीपों से दीप जलें।
हम तुम सब साथ चलें।
एक जाति, एक वर्ग, सबका भगवान एक।
एक देश, एक राष्ट्र, सबका ईमान एक।
सत्य हो अहिंसा हो, सच्चे आदर्श पलें।
हम तुम सब साथ चलें।
मानव में अल्ला है, मानव में ईश्वर है।
मानव में रघुपति हैं, मानव सर्वोपर है।
मानव का मान रहे, मानव में राम खिलें।
हम तुम सब साथ चलें।
ऐसी आज़ादी हो, जिसमें अनुशासन हो।
नारी का आदर हो, समुचित संरक्षण हो।
नारी के पूजन में, रमते देवता मिलें।
हम तुम सब साथ चलें।
वैज्ञानिक नवयुग में, भारत का गायन हो।
चंदा के आँगन में, अपना चंद्रायन हो।
तकनीकी राहों पर, नए नए चरण चलें।
हम तुम सब साथ चलें।
आज जो प्रदूषण है, मानव का घातक है।
एक एक पेड़ पुष्प, जन जन का रक्षक है।
शस्य श्याम धरती पर, नूतन कोंपलें खिलें।
हम तुम सब साथ चलें।
बापू के भारत में, क़दमों से क़दम मिलें।
हम तुम सब साथ चलें।
भूख हो न रोग जहां, ऐसा संसार गढ़े।
रोष हो न द्वेष जहां, आपस में प्यार बढ़े।
ज्योतिर्मय वसुधा हो, दीपों से दीप जलें।
हम तुम सब साथ चलें।
एक जाति, एक वर्ग, सबका भगवान एक।
एक देश, एक राष्ट्र, सबका ईमान एक।
सत्य हो अहिंसा हो, सच्चे आदर्श पलें।
हम तुम सब साथ चलें।
मानव में अल्ला है, मानव में ईश्वर है।
मानव में रघुपति हैं, मानव सर्वोपर है।
मानव का मान रहे, मानव में राम खिलें।
हम तुम सब साथ चलें।
ऐसी आज़ादी हो, जिसमें अनुशासन हो।
नारी का आदर हो, समुचित संरक्षण हो।
नारी के पूजन में, रमते देवता मिलें।
हम तुम सब साथ चलें।
वैज्ञानिक नवयुग में, भारत का गायन हो।
चंदा के आँगन में, अपना चंद्रायन हो।
तकनीकी राहों पर, नए नए चरण चलें।
हम तुम सब साथ चलें।
आज जो प्रदूषण है, मानव का घातक है।
एक एक पेड़ पुष्प, जन जन का रक्षक है।
शस्य श्याम धरती पर, नूतन कोंपलें खिलें।
हम तुम सब साथ चलें।
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