मुक्तक
रूठ जाओ तो कोई बात नहीं
मान जाना मगर मनाने से।
मेरी आँखों का ख़्वाब बन जाओ
माँग लूँगा तुम्हे ज़माने से।
रूठ जाओ तो कोई बात नहीं
मान जाना मगर मनाने से।
मेरी आँखों का ख़्वाब बन जाओ
माँग लूँगा तुम्हे ज़माने से।
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कुंठित पीड़ा की सरिता
नयनों से बहती कविता।
नयनों से बहती कविता।
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