समर्पित सत्य समर्पित स्वप्न
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भाग 1 | 22
मुक्तक

रूठ जाओ तो कोई बात नहीं
मान जाना मगर मनाने से।
मेरी आँखों का ख़्वाब बन जाओ
माँग लूँगा तुम्हे ज़माने से।

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कुंठित पीड़ा की सरिता
नयनों से बहती कविता।

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